**ब्रह्मराक्षस की कहानी: भाग 1**
एक समय की बात है, एक दूर गाँव था जिसका नाम था “कृष्णवाड़ी”। यह गाँव अपनी खूबसूरती और परंपराओं के लिए मशहूर था। इस गाँव में एक सुंदर लड़की, चंदा, रहती थी। चंदा न केवल अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थी, बल्कि उसके दिल में भी विशालता थी। उसकी आँखों में अनोखी चमक थी और उसका हंसना सभी को आनंदित कर देता था।
चंदा को बचपन से ही एक अजीब सा सपना आता था – एक गहरे जंगल का तालाब जिसमें एक रहस्यमय प्राणी रहता है। उस प्राणी की आँखें सुनहरी थीं और उसका चेहरा बहुत ही आकर्षक था। हर बार जब वह सपना देखती, वह महसूस करती कि उस प्राणी का उससे कोई विशेष संबंध है।
गाँव के दूसरे छोर पर बंशी नाम का युवक रहता था। बंशी हमेशा से चंदा का दीवाना रहा था लेकिन उसने कभी अपने मन की बात नहीं कह पाई। वह उसे देखकर बस मुस्कुराता और अपनी भावनाओं को छिपाए रखता।
एक दिन, गाँव में मेला लगा हुआ था। रंग-बिरंगे कपड़े, मिठाइयाँ और खुशियाँ चारों ओर थीं। चंदा ने सोचा कि शायद आज उसे अपने सपने का सच जानने का मौका मिले! मेले में घूमते-घूमते वह अचानक उस गहरे जंगल के पास पहुँची जहाँ उसने बार-बार अपने सपने में देखा था।
जंगल के बीचोबीच उसने वही तालाब देखा! जैसे ही उसने तालाब के पानी पर नजर डाली, उसकी लहरों में कोई हलचल हुई—और तभी सामने आया वह रहस्यमय प्राणी।
“तुम कौन हो?” चंदा ने डरते हुए पूछा।
“मैं हूँ ब्रह्मराक्षस,” उसने कहा, “लेकिन मैं तुमसे बुरा चाहने वाला नहीं हूँ… मेरा नाम अर्जुन है।”
अर्जुन ने बताया कि वह सैकड़ों वर्षों पहले एक अत्याचारी राजा के द्वारा शापित हुआ था और अब इस रूप में फँसा हुआ है। उसकी आत्मा प्रेम की खोज में भटकती रही क्योंकि उसे विश्वास था कि सच्ची मोहब्बत ही उसे इस श्राप से मुक्त कर सकती है।
चंदा सुनकर आश्चर्यचकित हो गई; क्या संभव है कि उसके सपनों का प्राणी सचमुच यहाँ खड़ा हो? अर्जुन ने कहा, “मैं जानता हूँ कि तुम्हारे दिल में मेरे प्रति कुछ खास भावनाएँ हैं।”
उस पल दोनों के बीच एक अद्भुत समझ बनी—सीधे शब्दों में कहें तो उन्हें प्यार हो गया! वे घंटों बातें करते रहे और चंदा को एहसास हुआ कि अर्जुन केवल बाहरी रूप से भयानक लगता है; भीतर वो एक संवेदनशील आत्मा है जो सिर्फ प्यार चाहती है।
समय बीतता गया; दोनों रात को तालाब किनारे मिलते रहे और उनके बीच प्रेम बढ़ता गया। लेकिन चंदा का दिल दरअसल हाथी जैसा भारी होने लगा क्योंकि उसे पता चला कि समाज उनकी प्रेम कहानी को स्वीकार नहीं करेगा—एक मानव और ब्रह्मराक्षस की जोड़ी असंभव लगती थी!
फिर भी, प्यार किसी नियम या सीमा को मानता है क्या?
मेला खत्म होने की तैयारी शुरू हो गई थी, लेकिन चंदा जानती थी कि अगर अब वह वापस लौट जाएगी तो यह सब समाप्त हो जाएगा; इसलिए उसने निर्णय लिया कि वो अर्जुन के साथ जिन्दगी गुजारेगी चाहे जो भी हो!
“हमेशा मेरी तरफ आओगे?” उसने अर्जुन से पूछा।
“जब तक मुझे तुम्हारा प्यार मिलेगा!” उन्होंने जवाब दिया।
फिर धीरे-धीरे दिन बीतने लगे; लेकिन जैसे-जैसे उनका रिश्ता मजबूत होता गया वैसे-वैसे खतरे भी बढ़ने लगे. गाँव वालों ने अजीब घटनाओं को नोटिस करना शुरू किया– रात भर घुसपैठियों की आवाज़ें आती रहीं जबकि कई लोग रहस्यमय तरीके से गायब भी हुए थे।
गाँव वाले संदेह करने लगे थे क्यूँकि उन्हें यकीन हो चला था कि ये सब ब्रह्मराक्षस अर्जुन करवा रहा होगा ताकि वो अपनी प्रेमिका को पाने के लिए गाँव वालों से बदला ले सके!
इस तरह उनकी प्रेम कहानी मुसीबतों से गुजरने लगी…
क्या चंदा अपने प्यार अर्जुन को समाज के आगे साबित कर पाएगी? क्या वे मिलकर उन सभी बाधाओं का सामना करेंगे?
*क्रमशः…*
यह महाकवि पुरानी दास्तानों जैसी रोमांटिक हिंदी कहानी न केवल प्रेम बल्कि चुनौती और समर्पण की यात्रा पर आधारित होती जा रही है. अगले भाग में हम देखेंगे कैसे दोनों अपने प्यार की रक्षा करते हैं और किस प्रकार उनकी मोहब्बत सभी बाधाओं को पार करेगी!
**ब्रह्मराक्षस की कहानी – भाग 2**
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में जहां हरियाली और खुशहाली का साम्राज्य था, वहाँ एक सुंदर युवती, राधिका रहती थी। उसकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक फैले थे। उसके पास एक अद्भुत गुण था—वह हर किसी के दुख-दर्द को समझ सकती थी। लेकिन उसकी आँखों में कुछ छुपा हुआ था—एक गहरा दुःख।
यह दुःख उस दिन का था जब उसकी बुआ ने उसे बताया था कि वह अंधेरे जंगल के ब्रह्मराक्षस से बचकर भागने में सफल हुई थीं। यह राक्षस न केवल भयानक दिखता था बल्कि उसने कई गाँववालों को अपने जादुई जाल में फंसाकर उन्हें अपनी दासता में झोंक दिया था। लोग उसे देखकर डरते थे और उससे दूर रहते थे। लेकिन राधिका की दिलचस्पी इस कहानी में और भी बढ़ गई।
राधिका ने ठान लिया कि वह उस ब्रह्मराक्षस की सच्चाई जानना चाहती है। क्या वह सचमुच बुरा है या फिर उसके अंदर भी कोई इंसानी भावना छिपी हुई है? इस सोच के साथ वह जंगल की ओर निकल पड़ी।
जंगल के बीचोंबीच पहुँची तो देखा कि वहाँ चारों तरफ कुछ अजीब सा माहौल था। पेड़-पौधे बड़े हुए थे, जैसे कोई कहानी सुना रहे हों। अचानक, उसके सामने एक विशाल काया प्रकट हुई—ब्रह्मराक्षस स्वयं!
उसकी लंबाई असामान्य थी और चेहरे पर क्रोध का चिन्ह साफ नजर आ रहा था। “तुम यहाँ क्यों आई हो?” उसने गरजते हुए पूछा।
“मैं तुम्हारी सच्चाई जानने आई हूँ,” राधिका ने साहस दिखाते हुए कहा।
ब्रह्मराक्षस उसे घूरते रहा, “क्या तुम नहीं जानती? मेरी पहचान खौफनाक है! मैं लोगों से डरा हुआ हूँ!”
“लेकिन क्या तुम सचमें खौफनाक हो?” उसने पुरजोर आवाज़ में पूछा, “या तुम भी अपने अकेलेपन से त्रस्त हो?”
इस सवाल पर ब्रह्मराक्षस चुप हो गया; उसकी आँखें चमक उठीं जैसे अंधकार में कोई जलती हुई मशाल मिल गई हो। “मैंने यह रूप धारण किया क्योंकि मुझे विश्वास नहीं रहा… पहले मैं प्रेम करता था,” उसने धीरे-धीरे कहा।
“प्रेम?” राधिका ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
उसने अपने अतीत की कहानी सुनाई—कैसे उसने एक राजकुमारी से प्रेम किया जो युद्ध के समय खो गई थी और कैसे उस दुख ने उसे बदला दिया। इसी तरह उन्होंने अपनी यादें साझा करना शुरू कर दिया और दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता पनपने लगा।
समय बीतता गया और उनकी मुलाकातें बढ़ने लगीं। ब्रह्मराक्षस ने राधिका को अपने अंधकारमय जंगल का हर कोना दिखाया, जहाँ फूल खिलते थे लेकिन किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया था। वहीं पर उन्होंने प्यार का इज़हार किया—दोनों जानते थे कि उनके बीच कुछ खास बन चुका है।
लेकिन एक रात जब पूर्णिमा की चाँदनी बिखरी थी, तब गाँव वालों को पता चला कि राधिका अब ब्रह्मराक्षस से मिलने जाती है। वे सब डर गए और सोचा कि उन्हें इसे रोकना चाहिए।
गाँव वाले जंगल की ओर बढ़े और शोर मचाने लगे, “ब्रह्मराक्षस! हमें छोड़ दो हमारी प्रिय राधिका को!”
जब राधिका वहां पहुँच गई तो देखती हैं कि उनका प्यारा साथी खतरे में है। उसने सबको चिल्लाते हुए कहा, “उसे मारो मत! वह मेरा दोस्त है!”
“लेकिन वो खतरनाक है!” गाँव वालों ने जवाब दिया।
“क्या तुम नहीं समझते?” राधिका चीखी, “वो भी मुझे उतनी ही चाह रखता है जितनी हम रखते हैं!”
गाँव वाले थोड़े देर रुके; शायद पहली बार उन्होंने देखा कि ब्रह्मराक्षस रो रहा था – आँसू बह रहे थे जैसे बारिश धरती को तर कर देगी। सबकी आँखें खुली रह गईं क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि उनसे ज्यादा दर्द भरा दिल किसीका नहीं होता!
अचानक एक बूढ़ी महिला आगे आई: “हम सभी गलत हैं! हमें उससे बातचीत करने का मौका देना चाहिए!”
गाँव वाले सहमत हुए; तभी वे सब मिले—ब्रहमारक्षास ने अपनी पूरी कहानी बताई जिसमें प्रेम और वियोग शामिल थे जिसने उसे ऐसा बना दिया जिसे वे आज देख रहे थे।
आखिरकार सबको यकीन हुआ; ब्रह्मरक्षास अब सिर्फ उनका मित्र बन गया बल्कि गाँव के लिए भी सुरक्षा कवच बन गया!
इस तरह प्यार ने न केवल दो व्यक्तियों को जोड़कर रखा बल्कि पूरे गाँव को बदल दिया; जहाँ कभी डर हुआ करता था वहां अब समझदारी एवं मित्रता का साम्राज्य स्थापित हो गया!
और इस प्रकार कथा समाप्त हुई; लेकिन इसका संदेश हमेशा जीवित रहेगा: प्यार सबसे शक्तिशाली जादू होता है जो सबसे कठिन दिलों को खोल सकता है!
**समाप्त**













