रहस्यमयी कुलधरा गाँव

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कुलधरा गाँव

राजस्थान के जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित कुलधरा गाँव, अपनी रहस्यमयी और भूतिया कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। यह गाँव पिछले 200 वर्षों से वीरान पड़ा है, और इसके इतिहास में कई रहस्य और भयावह घटनाएँ छिपी हुई हैं।

कुलधरा का इतिहास

कुलधरा गाँव की स्थापना 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा की गई थी। पाली क्षेत्र से आए ये ब्राह्मण यहाँ बस गए और अपने कुशल जल प्रबंधन और कृषि तकनीकों के लिए प्रसिद्ध थे। गाँव में उधनसर नामक एक तालाब भी खुदवाया गया था, जो उनकी जल प्रबंधन क्षमता का प्रमाण है।

गाँव का रहस्यमयी परित्याग

18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, जैसलमेर के दीवान सालिम सिंह की नजर गाँव की एक सुंदर लड़की पर पड़ी। सालिम सिंह ने गाँव वालों पर दबाव डाला कि वे उस लड़की का विवाह उससे कर दें, अन्यथा वह कर बढ़ा देगा और उन्हें प्रताड़ित करेगा। गाँव वालों ने अपनी इज्जत और सम्मान की रक्षा के लिए एक साहसिक निर्णय लिया। एक रात में, कुलधरा और उसके आसपास के 84 गाँवों के लगभग 5,000 पालीवाल ब्राह्मणों ने अपने घरों को छोड़ दिया और कहीं अज्ञात स्थान पर चले गए। जाते-जाते उन्होंने गाँव को श्राप दिया कि यहाँ फिर कभी कोई बस नहीं पाएगा।

वर्तमान स्थिति

आज, कुलधरा एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है, जहाँ पर्यटक इसके खंडहरों और रहस्यमयी वातावरण को देखने आते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित इस स्थल पर कई टूटी-फूटी इमारतें, मंदिर और गलियाँ हैं, जो उस समय की समृद्धि और संस्कृति की झलक दिखाती हैं। हालांकि, सूर्यास्त के बाद यहाँ आना मना है, क्योंकि स्थानीय लोग मानते हैं कि रात में यहाँ भूत-प्रेत का साया होता है।

कुलधरा की भूतिया कहानियाँ

कुलधरा के बारे में कई भूतिया कहानियाँ प्रचलित हैं। कुछ लोगों का कहना है कि रात में यहाँ अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, और कुछ ने रहस्यमयी परछाइयाँ देखने का दावा किया है। हालांकि, इन कहानियों की सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन ये किस्से कुलधरा की रहस्यमयी छवि को और भी गहरा करते हैं।

कुलधरा: एक भूतिया रात की कहानी

राजस्थान के रेतीले टीलों के बीच बसा कुलधरा गाँव, आज भी अपनी रहस्यमयी कहानियों के कारण लोगों को आकर्षित करता है। एक बार मैं और मेरे कुछ मित्र वहाँ घूमने गए। उस रात का अनुभव ऐसा था कि अब भी मेरी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ जाती है।

यात्रा की शुरुआत

हमने जैसलमेर से कुलधरा गाँव का रुख किया। दिन के समय, गाँव के खंडहर, टूटे-फूटे घर और वीरान गलियाँ केवल एक ऐतिहासिक स्थल लग रहे थे। लेकिन जैसे ही शाम ढलने लगी, वहाँ का माहौल बदलने लगा। सूर्यास्त के बाद, गाँव की खामोशी एक भयानक सन्नाटे में बदल गई।

रात में गाँव का दृश्य

हमने तय किया था कि हम रात में भी वहाँ रुकेंगे। स्थानीय लोगों ने हमें चेतावनी दी थी कि सूर्यास्त के बाद कुलधरा में रुकना खतरे से खाली नहीं। पर हम युवा थे और इस रोमांचक अनुभव को हाथ से जाने देना नहीं चाहते थे।

गाँव में एक पुराने टूटे हुए घर को हमने अपना अस्थायी ठिकाना बनाया। रात के करीब 10 बजे, ठंडी हवाएँ चलने लगीं। चारों तरफ अंधेरा और सन्नाटा था। हमारे पास केवल एक टॉर्च और मोबाइल की रोशनी थी।

अजीब घटनाएँ शुरू होती हैं

रात के 12 बजते ही अजीब घटनाएँ शुरू हो गईं।

  • सबसे पहले हमें खंडहरों के बीच किसी के चलने की आवाज सुनाई दी। जब हमने बाहर झाँका, तो कोई नहीं था।
  • अचानक, हमारे पास रखी पानी की बोतल खुद-ब-खुद गिर गई।
  • एक दोस्त ने दावा किया कि उसने एक परछाई को खिड़की के पास देखा।

हमारा हौसला धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगा।

भयानक अनुभव

रात के करीब 2 बजे, हम सबने महसूस किया कि जैसे कोई हमें देख रहा है। एक अजीब सी ठंडक कमरे में फैल गई। तभी अचानक, दरवाजा ज़ोर से बंद हो गया।

हममें से एक ने हिम्मत करके दरवाजा खोला और बाहर देखा। वहाँ कुछ नहीं था। पर जैसे ही उसने दरवाजा खोला, एक जोर की चीख सुनाई दी। वह चीख इतनी भयानक थी कि हमारे रोंगटे खड़े हो गए।

भागने का फैसला

अब हमें लगा कि यहाँ रुकना खतरे से खाली नहीं। हमने तुरंत अपना सामान समेटा और गाँव छोड़ने का फैसला किया। लेकिन जब हम गाड़ी की ओर बढ़ रहे थे, तो रास्ते में हमें महसूस हुआ कि कोई हमारे पीछे-पीछे चल रहा है। जब हमने पीछे मुड़कर देखा, तो दूर एक सफेद साया नजर आया।

हमने बिना वक्त गँवाए गाड़ी स्टार्ट की और वहाँ से निकल गए। रास्ते भर हम सब चुप थे।

निष्कर्ष

कुलधरा की यह यात्रा हमें जीवन भर याद रहेगी। वहाँ का माहौल, भूतिया घटनाएँ और अजीब अनुभव आज भी हमारी यादों में जिंदा हैं। हो सकता है कि यह सब हमारा भ्रम हो, या शायद कुलधरा का श्राप अब भी वहाँ सक्रिय हो।

अगर आप भी इस गाँव का अनुभव करना चाहते हैं, तो दिन के समय जरूर जाएँ। लेकिन याद रखें, सूर्यास्त के बाद वहाँ रुकना आपकी हिम्मत और किस्मत पर निर्भर करता है।

क्या कुलधरा वाकई श्रापित है, या यह सिर्फ कहानियों का असर है? इसका जवाब अब भी एक रहस्य है।

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